प्रतिरोध और दर्द की ओर बढें

यह मानव स्वभाव है कि हम हर उस ची ज से दूर रहना चाहते हैं, जो स.भावित रूप से दर्द भरी या प्रकट रूप से मुश्किल नजर आती है। यही स्वाभाविक प्रवृत्ति योग्यता के अभ्यास में भी नजर आती है। एकबार जब हम किसी योग्यता के किसी पहलू में कुशल बन जाते हैं, आम तौर पर वह पहलू जो हमारे लिए सबसे आसान होता है, तो हम उसी का बार-बार अभ्यास करना चाहते हैं। अपने कमजोर पहलुओ से बचने की वजह से हमारी योग्यता एकतरफा हो जाती है। हमें कोई भी नहीं देख करा है, इसलिए हम अपने अभ्यास में कम सतर्क हो सकते हैं। हम पर प्रदर्शन करने का कोई दबाव नहीं है, इसलिए हमारा ध्यान आधा-अदूरा हो सकता है। अपनी अभ्यास दिनचर्याओं में हम काफी पारंपरिक भी हो सकते हैं। हम आम तौर पर दूसरों के कामों का अनुसरण करते हैं और इन योग्यताओं के परंपरागत अभ्यास करते रहते हैं।
प्रतिरोध और दर्द की ओर बढें


    यह नौसिखियों का मार्ग है। महारत या प्रवीणता हासिल करने के लिए आपको प्रतिरोध अभ्यास करना चाहिए। इसका सिदान्त सरल है – अभ्यास के मामले में आप अपनी स्वाभाविक प्रवृतियों के विपरित दिशा में जाएँ। सबसे पहले तो आप अपने प्रति अच्छे होने के प्रलोभन का प्रतिरोध करते हैं। आप अपने सबसे निर्मम आलोचक बन जाते है, आप अपने काम को दूसरो की आँखों से देखते हैं। आप अपनी कमजोरियाँ पहचानते हैं, आप सटीकता से जानते हैं कि आप किन चिजो में अच्छे नहीं हैं। अपने अभ्यास में आपको इन्ही पहलुओं को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे जो दर्द होगा, उसके पार जाने में आपको एक तरह का विकृत आनंद मिलता है। दूसरे आप अपनी एकाग्रता कम करने के प्रलोभन का प्रतिरोध करते हैं। आप खुद को प्रशिक्षित करते हैं कि आप दुगनि गहनता से अभ्यास पर ध्यान केन्द्रित करें, मानो यह दुगुनी वास्तविक चीज हो। अपनी दिनचर्या बनाते समय आप ज्यादा से ज्यादा सृजनात्मक बनते है। आप ऐसे अभ्यास खोजते है। जो आपकी कमजोरियों को बेहतर बनाएँ। आप कुछ मानदंड पूरा करने के लिए खुद को इच्छा अनुसार डेडलाइन देते है। देते हैं। आप खुद को प्रकट सीमाओं के पार लगातार धकेलते रहते हैं। इस तरह आप उत्कष्टता के अपने खुद के पैमाने बनाते हैं, जो आम तौर पर दूसरो से ज्यादा ऊँचे होते हैं।

    अंत में, आपका पाँच घटे का गहन. केन्द्रित कार्य सामान्य लोगों के दस घंटे के कार्य के बराबर होता है। जल्दी ही आप ऐसे अभ्यास के परिणाम देखेंगे और दूसरे लोग आश्चर्य करेंगे कि आप कितनी आसानी से अपने काम कर लेते हैं।                           
प्रतिरोध और दर्द की ओर बढें प्रतिरोध और दर्द की ओर बढें Reviewed by Kahaniduniya.com on मार्च 23, 2019 Rating: 5

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